आपकी Salary Slip ही बता देगी Tax का पूरा गणित

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सैलरी पर टैक्स का हिसाब (Tax on Salary)

आईटी अधिनियम, 1961 के तहत पेरोल प्रोसेसिंग करने पर टैक्सेबल लाभों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है – रिकरिंग और ऐड हॉक। इनमें भत्ते और परक्विज़ीट्स शामिल हो सकते हैं। इनमें कर्मचारियों को प्रदान की जाने वाली विभिन्न खर्च और सुविधाएं शामिल होती हैं। इनमें से कुछ पर कर लागू होता है, कुछ पर कम या बिल्कुल कोई कर नहीं लगता है।

इसके अलावा, पेरोल प्रोसेसिंग करने पर आयकर विभाग द्वारा निर्धारित नियमों के तहत कई अतिरिक्त लाभ भी हो सकते हैं, जिनमें शामिल हो सकते हैं विभिन्न भत्ते, प्रोविजन्स और अन्य वित्तीय उपाय। इसलिए, पेरोल प्रोसेसिंग के संदर्भ में कर नियमों को समझना और उनका उपयोग करना महत्वपूर्ण होता है ताकि कर्मचारियों को सही लाभ प्राप्त हो सके।

  • बेसिक सैलरी: सैलरी का मूल्यांकन शुरू होता है बेसिक सैलरी से।
  • हाउस रेंट एलाउंस (HRA): यदि आपको किराए पर रहने का भुगतान किया जाता है, तो इसे HRA के तौर पर छूट के रूप में ले सकते हैं।
  • अन्य भत्ते: कुछ अन्य भत्ते जैसे डियरेंस, मेडिकल भत्ता, ट्रांसपोर्ट भत्ता आदि भी शामिल हो सकते हैं।
  • मान्यता: निर्धारित मान्यताओं को छूट के रूप में ले सकते हैं, जैसे कि नियमित जीवन बीमा प्रीमियम, पीएफ, नेशनल पेंशन योजना, गोल्डन सविंग्स स्कीम आदि।
  • कर छूटों: अधिकांश कर छूटें निर्धारित नियमों और मान्यताओं के तहत होती हैं, जैसे कि एलआईसी, घरेलू ऋण ब्याज, चिकित्सा बीमा प्रीमियम, दान आदि।
  • कर दरें: कर दरें आयकर विभाग द्वारा निर्धारित की जाती हैं, जिनका आधार आयकर स्लैब्स होते हैं। ये दरें नियमित अंतरालों पर संशोधित की जाती हैं।
  • आईटीआर भरने की अंतिम तारीख: इसके लिए निर्धारित समय सीमा होती है, आयकर विभाग द्वारा निर्धारित की जाती है।
  • नियमित आय का निर्धारण: आपकी सैलरी के अलावा, अन्य आय जैसे ब्याज, लाभांश, बिक्री का लाभ आदि भी आपकी कुल आय का हिस्सा बनते हैं।
  • अन्य साधन: कुछ अतिरिक्त साधन भी हो सकते हैं, जैसे कि किसी अच्छे संदर्भ में करेंसी की कीमत में परिवर्तन, लोकेशन के आधार पर करेंसी की कीमत आदि।
  • विविध करेंसी: कुछ करेंसी क्षेत्रों में विविध नियम हो सकते हैं, जिन्हें आयकर कार्यालय द्वारा प्रशासनिक करीबी के तहत देखा जाता है।
  • नियमित परिवर्तन: आयकर नियम और दरें समय-समय पर परिवर्तित की जाती हैं, इसलिए सैलरी पर टैक्स की गणना करते समय नवीनतम नियमों का ध्यान रखना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
  • कर वापसी: कई बार, आयकर का भुगतान किया गया कर वापस मिल सकता है, जैसे कि निवेशों पर छूट के रूप में।

सैलरी के किस किस हिस्से पर टैक्स लग सकता है?

  • बेसिक सैलरी: मुख्य सैलरी जिस पर निर्धारित टैक्स दरों के अनुसार कर लगाया जाता है।
  • बोनस: बोनस का एक भाग कर होता है और इस पर टैक्स लगता है।
  • अतिरिक्त भत्ते: कई बार, अतिरिक्त भत्तों पर भी टैक्स लगता है।
  • मेडिकल भत्ता: कुछ कंपनियों अपने कर्मचारियों को मेडिकल भत्ता प्रदान करती हैं, जिस पर टैक्स लग सकता है।
  • अन्य लाभ: जैसे कि हाउस रेंट एलाउंस, ट्रांसपोर्ट भत्ते, डियरेंस आदि, जिन पर कभी-कभार टैक्स लगता है।

सैलरी के जिन हिस्सों पर पूरी तरह से टैक्स छूट मिल सकती है ?

  • अनुदान और सुविधाएं: कुछ कंपनियों अपने कर्मचारियों को अनुदान और सुविधाएं प्रदान करती हैं जैसे कि बचत के योजना, अस्पतालीय बीमा, शिक्षा सहायता आदि जिन पर कभी-कभार टैक्स छूट मिलती है।
  • निवेश योजनाएं: कुछ निवेश योजनाओं पर टैक्स छूट मिल सकती है, जैसे कि पेंशन योजना, लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम, रिटायरमेंट फंड (EPF) आदि।
  • मेडिकल भत्ता: कुछ कंपनियों अपने कर्मचारियों को मेडिकल भत्ता प्रदान करती हैं, जिस पर टैक्स छूट मिल सकती है, यदि वह सीमित हद तक हो।
  • घरेलू ऋण ब्याज: यदि कोई कर्मचारी घरेलू ऋण की वसूली के लिए ब्याज का भुगतान करता है, तो उसे इस पर टैक्स छूट मिल सकती है।
  • दान या चारिटेबल योजनाएं: कर्मचारी यदि किसी चारिटी योजना के लिए दान करता है, तो उसे इस पर टैक्स छूट मिल सकती है।
  • अन्य लाभ: कुछ कंपनियों अपने कर्मचारियों को अतिरिक्त लाभ प्रदान करती हैं जैसे कि कार्यालय के सामग्री का उपयोग, लाभांश, यात्रा भत्ता आदि, जिन पर कभी-कभार टैक्स छूट मिलती है।
  • जीवन बीमा प्रीमियम: कई कंपनियाँ अपने कर्मचारियों के लिए जीवन बीमा पॉलिसी प्रदान करती हैं, जिस पर टैक्स छूट मिल सकती है।
  • यात्रा भत्ता: कर्मचारियों को कार्यालय के बाहर यात्रा के लिए भत्ता मिलता है, जो कभी-कभार टैक्स छूट के रूप में दिया जाता है।
  • बचत योजनाएं: कुछ कंपनियाँ अपने कर्मचारियों के लिए बचत योजनाएं प्रदान करती हैं, जैसे कि कम्पनी द्वारा प्रदान की जाने वाली PF (Provident Fund), जिस पर टैक्स छूट मिल सकती है।
  • गोल्डन सेविंग्स योजना: कुछ कंपनियाँ अपने कर्मचारियों के लिए गोल्डन सेविंग्स योजनाएं भी प्रदान करती हैं, जिन पर टैक्स छूट मिल सकती है।

कैसे करें सैलरी पर टैक्स कैलकुलेट ?

  • विभिन्न स्लैब्स की जांच: अपनी आय के आधार पर विभिन्न टैक्स स्लैब्स की जांच करें और कितना टैक्स आपको देना होगा या कितना टैक्स छूट मिलेगी यह जानें।
  • तारीखों का ध्यान रखें: टैक्स भरने की अंतिम तारीख के पहले समय से पहले अपने टैक्स कैलकुलेशन को पूरा करें ताकि कोई देरी न हो।
  • कर बचाने के लिए निवेश करें: निवेश करके आप अपनी कर लायबिलिटी को कम कर सकते हैं, जैसे कि PF, PPF, और ELSS में निवेश करके।
  • वित्तीय सलाह लें: यदि आपको टैक्स संबंधी किसी भी समस्या का सामना करना हो, तो एक वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें।
  • नई टैक्स नीतियों का पालन करें: टैक्स नीतियों में किए गए किसी भी बदलाव को ध्यान में रखें और अपने निवेशों और खर्चों को उसी के अनुसार समायोजित करें।
  • ऑनलाइन Income Tax Calculator खोलें: उपलब्ध सॉफ्टवेयर को खोलें और आवश्यक फील्ड्स को भरें।
  • उम्र का चयन करें: अपनी उम्र का चयन करें ताकि आपकी टैक्स लायबिलिटी कोर्रेक्ट रूप से कैलकुलेट हो सके।
  • अगले स्टेप पर जाएं: अगले स्टेप में बढ़ें ताकि आप अपनी सैलरी और अन्य आय विवरण दे सकें।
  • सैलरी डालें: अपनी सैलरी की विवरण दें, और यदि आवश्यक हो तो HRA, LTA, और प्रोफेशनल टैक्स छूटों का लाभ उठाएं।
  • अन्य आय और ब्याज डालें: अन्य आय और ब्याज जैसे कि ब्याज आय, किराये की आय, और डिजिटल असेट्स से आय को दर्ज करें।
  • निवेश डिटेल्स दें: निवेश के लिए दायर किए गए विवरणों को दें, जैसे कि सेक्शन 80C, 80D, 80G, 80E, और 80TTA के तहत कर बचत निवेश।
  • कैलकुलेट करें: सभी विवरणों को दर्ज करने के बाद ‘कैलकुलेट’ पर क्लिक करें।
  • टैक्स लायबिलिटी जांचें: टैक्स लायबिलिटी को जांचने के लिए आपको अपना टैक्स कैलकुलेशन मिलेगा।
  • नए टैक्स स्लैब का लाभ: नए टैक्स स्लैब के तहत अपनी टैक्स लायबिलिटी को जानने के लिए निवेश और छूटों को दर्ज करें।
  • टैक्स प्रिंट आउट लें: अंतिम रुप में, अपने टैक्स कैलकुलेशन का प्रिंट आउट लेकर या फाइल को सेव करें। 

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Pooja Gupta

CA Pooja Gupta (CA, ISA, M.com) having 15 years of experience. Educator and Digital Creator

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