इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग (Income Tax Return Filing) केवल एक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण वित्तीय कार्य है जिससे आप अपनी आय को ठीक से निर्धारित कर सकते हैं और निर्धारित टैक्स को निगल सकते हैं। इसमें विभिन्न विषयों को समझने के लिए कुछ महत्वपूर्ण जानकारी शामिल है।इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले, आपको सही फॉर्म का चयन करना आवश्यक है।
इसके बाद, आपको अपनी आय की गणना करनी होगी। सैलरी, ब्याज, डिविडेंड, कैपिटल गेन, आदि सभी आय के सही जानकारी को इनकम टैक्स रिटर्न में देना आवश्यक है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया में आपको सही फॉर्म का चयन करने के बाद, अपनी सारी आय का विवरण प्रदान करना होगा। आपको अपनी सैलरी, बैंक ब्याज, निवेशों से प्राप्त डिविडेंड, और कैपिटल गेन जैसी सभी आय के विवरण को सही तरीके से दर्ज करना होगा। इसके अलावा, आपको निवेशों से होने वाली हर प्रकार की कर निर्धारण को भी ध्यान में रखना होगा। एक बार आपने सभी आय के विवरण को दर्ज किया है, तो आप अपने टैक्स रिटर्न को फाइल कर सकते हैं।
इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म: आपकी आय के आधार पर सही टैक्स रिटर्न फॉर्म का चयन करना महत्वपूर्ण है। अलग-अलग प्रकार की आय के लिए अलग-अलग फॉर्म होते हैं जैसे ITR-1, ITR-2, ITR-3, आदि।
आय के प्रकार: आपकी आय के प्रकार को समझना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि विभिन्न प्रकार की आय के लिए विभिन्न नियम होते हैं। कुछ प्रमुख आय के प्रकार शामिल हो सकते हैं सैलरी, ब्याज आय, प्रतिभूति आय, और कैपिटल गेन।
टैक्स बकाया: आपकी आय के आधार पर निर्धारित टैक्स को समझना जरूरी है। टैक्स बकाया की गणना के लिए आपको आय की विभिन्न स्रोतों का संबंधित टैक्स दरों को जोड़ना होगा।
डेडलाइन: इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तिथि (डेडलाइन) को ध्यान में रखना जरूरी है। अक्सर इस डेडलाइन के बाद टैक्स चार्जेज लग सकते हैं।
अनुशासन: आपको अपनी आयकर रिटर्न को समय पर फाइल करना चाहिए। ध्यान दें कि अक्सर टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख निर्धारित होती है, और अनियमित फाइलिंग दंड के लिए आपको कटौती हो सकती है।
आवश्यक दस्तावेज: टैक्स रिटर्न फाइल करते समय आपको अपनी आय की सभी जानकारी और अन्य आवश्यक दस्तावेजों को भी संलग्न करना होता है।
आधार पंजीकरण: टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए आपका आधार पंजीकरण भी आवश्यक हो सकता है। आधार कार्ड या आधार नंबर का उपयोग टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए किया जाता है।
निवेश के लाभ: कुछ निवेशों और योजनाओं से आप अपनी आय पर कर कम कर सकते हैं। आपको इस तरह के निवेशों के लाभ को शामिल करना चाहिए ताकि आपको टैक्स बकाया जा सके।
कानूनी सलाह: अगर आपके पास किसी अधिकारिक समस्या का सामना है, तो आपको किसी विशेषज्ञ या कानूनी सलाहकार से सलाह लेना चाहिए। वे आपको सही दिशा में मार्गदर्शन करेंगे।
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टैक्स कलकुलेटर: आप अपने टैक्स का निर्धारण करने के लिए टैक्स कलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं। यह आपको आपके कुल टैक्स बकाया को ठीक से निर्धारित करने में मदद करेगा।
आयकर रिटर्न फाइल करने के कदम हैं:
1.दस्तावेज़ इकट्ठा करें: आयकर रिटर्न फाइल करने के लिए संबंधित दस्तावेज़ जैसे फॉर्म 16 (नौकरशाही वालों के लिए), बैंक के विवरण, निवेश प्रमाणपत्र, और अन्य आय संबंधित दस्तावेज़ इकट्ठा करें।
2.सही फ़ॉर्म का चयन करें: अपने आय के स्रोतों और पात्रता मानदंडों के आधार पर यह निर्धारित करें कि आपके लिए कौनसा आयकर रिटर्न फ़ॉर्म उपयुक्त है। सामान्य रूप से प्रयुक्त फ़ॉर्म में ITR-1 (सहज), ITR-2, ITR-3, आदि शामिल होते हैं।
3.पंजीकरण/लॉगिन करें: आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर पंजीकरण करें या लॉग इन करें।
4.मूल्यांकन वर्ष का चयन करें: आपको फाइल कर रहे आयकर रिटर्न के लिए मूल्यांकन वर्ष का चयन करना होगा। मूल्यांकन वर्ष वह वर्ष होता है जो आप रिटर्न फाइल कर रहे हैं उस वित्तीय वर्ष के तुरंत बाद का।
5.विवरण भरें: चयनित फ़ॉर्म में सभी आवश्यक विवरण भरें। अपनी आय, छूट, कर भुगतान और अन्य संबंधित जानकारी प्रदान करें।
6.आधार / पैन सत्यापित करें: सुनिश्चित करें कि आपका आधार नंबर या पैन सही रूप से फ़ॉर्म में दर्ज हो और सत्यापित हो।
7.कर दायित्व की गणना करें: दिए गए जानकारी के आधार पर आपका कर दायित्व की गणना करें।
8.छूट दावा करें: आप टैक्स छूट के तहत उपलब्ध छूट का लाभ उठा सकते हैं।
विवरण सत्यापित करें: फ़ॉर्म में दर्ज किए गए सभी विवरणों की जांच करें ताकि सटीकता और पूर्णता सुनिश्चित हो।
9.रिटर्न फाइल करें: जब सभी विवरण सत्यापित हों, तो आयकर रिटर्न को पोर्टल पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से सबमिट करें।
10.स्वीकृति प्राप्त करें: रिटर्न सफलतापूर्वक फाइल होने के बाद, आपको एक स्वीकृति के रूप में आयकर विभाग द्वारा एक आईटीआर-वी (स्वीकृति) मिलेगा। इसे डाउनलोड करें और अपने रिकॉर्ड के लिए रखें।
11.सत्यापन करें: आपकी ITR-V की सत्यापन करें, जैसे कि ई-वेरिफिकेशन कोड (EVC), आधार OTP, या साइन किए गए फिजिकल कॉपी को केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्र (सीपीसी) को भेजकर 30 दिन के भीतर।
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